मुंबई। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा मंत्रालय को दलाल-मुक्त करने की घोषणा हवा में विलीन होती दिख रही है। फर्जी पत्रकारों के माध्यम से उगाही करने वाले गिरोह का मंत्रालय में आवागमन बढ़ गया है। हाल ही में, उगाही करने वाला रफीक मुलाणी ने सुरेश केसरकर के साथ मुख्यमंत्री कक्ष में मुलाकात की। खास बात यह है कि वह 55 लाख रुपये की उगाही के मामले में हाल ही में जमानत पर रिहा हुआ है।

धन उगाही के लिए मंत्रियों का दुरुपयोग?
रफीक मुलाणी बड़े मंत्रियों के साथ तस्वीरें खिंचवाकर खुद को पत्रकार साबित करने की कोशिश करता है। वह सूचना के अधिकार (RTI) कानून का दुरुपयोग कर अपने गिरोह के माध्यम से विभिन्न सरकारी विभागों से वसूली करता है। बीएमसी अधिकारी से 55 लाख रुपये की उगाही मांगने के मामले में उसका पर्दाफाश हुआ था। इस मामले में वह और उसके साथी रंगेहाथ पकड़े गए थे।
मुलाणी, प्रतिष्ठित व्यक्तियों से संबंध होने का आभास देकर विभिन्न सरकारी विभागों पर दबाव बनाता है। अभिनव भारत संगठन और सिटीजन जस्टिस प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया जैसी उससे जुड़ी संस्थाओं के खिलाफ पहले ही शिकायतें दर्ज हैं। अब, राज्य गुणवंत कामगार एसोसिएशन, जो सुरेश केसरकर की अध्यक्षता में है, उसमें भी उसकी संलिप्तता की आशंका जताई जा रही है।
मंत्रालय की सुरक्षा पर सवाल
मुख्यमंत्री ने मंत्रालय में दलाली रोकने के लिए नई जांच और प्रवेश प्रणाली स्थापित करने का विचार रखा है। हालांकि, इसकी प्रभावी अमल में लाने की जिम्मेदारी संबंधित अधिकारियों की होगी। अन्यथा, ऐसे उगाही करने वाले अपराधी मंत्रालय में घूमते रहेंगे और आम नागरिक अपने न्याय और अधिकारों से वंचित रह जाएंगे।
