
कल्याण/डोंबिवली: महाराष्ट्र राज्य के खेल क्षेत्र का सबसे प्रतिष्ठित सम्मान ‘शिवछत्रपती पुरस्कार’ और ‘द्रोणाचार्य पुरस्कार’इस वर्ष डोंबिवली के नाम रहा। इस ऐतिहासिक उपलब्धि ने पूरे शहर को गर्व से भर दिया है। डोंबिवली के तीन होनहारों ने राज्य स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन कर यह सम्मान अर्जित किया है। इनका सम्मान भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष और डोंबिवली के विधायक रविंद्र चव्हाण ने किया, जिन्होंने इसे “डोंबिवली का गौरवमयी क्षण” बताया।
समर्पण का प्रतीक: पवन मुकुंद भोईर को ‘द्रोणाचार्य पुरस्कार’
भोईर जिमखाना के संस्थापक और विख्यात जिम्नास्टिक कोच पवन मुकुंद भोईर को जिम्नास्टिक में उनके वर्षों के समर्पण और उत्कृष्ट कोचिंग के लिए ‘द्रोणाचार्य पुरस्कार’ से सम्मानित किया जा रहा है। यह सम्मान उन प्रशिक्षकों को दिया जाता है जिन्होंने खिलाड़ियों के जीवन में परिवर्तन लाने और उन्हें राज्य व राष्ट्रीय स्तर तक पहुँचाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई हो।
होनहार शिष्य: राही पाखले और आदर्श भोईर को ‘शिवछत्रपती पुरस्कार’
पवन भोईर के मार्गदर्शन में प्रशिक्षित दो युवा जिमनास्ट — राही नितीन पाखले और आदर्श अनिल भोईर — को ‘शिवछत्रपती पुरस्कार’ के लिए चुना गया है। ये दोनों खिलाड़ी जिम्नास्टिक के ट्रॅम्पोलीन इवेंट में अपने शानदार प्रदर्शन के लिए यह सम्मान प्राप्त करेंगे।
यह पुरस्कार वितरण समारोह 18 अप्रैल को पुणे के म्हाळुंगे-बालेवाडी क्रीड़ा संकुल में आयोजित होगा, जहाँ माननीय राज्यपाल के करकमलों से पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे।
सम्मान और भावना से भरा क्षण
इस गौरवपूर्ण क्षण को और खास बनाते हुए रविंद्र चव्हाण स्वयं पवन भोईर के निवास स्थान पहुँचे और उन्हें तथा उनके शिष्यों को बधाई दी। उन्होंने कहा, “यह केवल एक पुरस्कार नहीं, बल्कि डोंबिवली की खेल संस्कृति की जीत है। यह हमारे संस्कारों की पहचान है।” चव्हाण ने भावुक होते हुए स्वर्गीय सुरेंद्र वाजपेयी सर को भी याद किया, जिन्होंने डोंबिवली में खेल संस्कृति की नींव रखी थी। उन्होंने कहा, “वाजपेयी सर ने सपना देखा था कि हमारे समाज से अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी निकलें। आज पवन भोईर और उनके शिष्य उस सपने को साकार कर रहे हैं।”
पुरस्कार से सम्मानित हो रहे तीनों प्रतिभागियों के परिवारों ने इसे “भावुक और अविस्मरणीय क्षण” बताया। वर्षों की कड़ी मेहनत, अनुशासन और समर्पण का फल अब मिल रहा है। राही पाखले और आदर्श भोईर जैसे युवा खिलाड़ियों के लिए यह पुरस्कार सिर्फ सम्मान नहीं, बल्कि भविष्य के लिए एक नई प्रेरणा का स्रोत है।
“माझे डोंबिवलीकर, माझा अभिमान!”
अंत में विधायक चव्हाण ने अपने अभिवादन में गर्व से दोहराया कि “माझे डोंबिवलीकर, माझा अभिमान!”, उन्होंने सरकार और समाज से अपील की कि वे ऐसे होनहार खिलाड़ियों के पीछे मजबूती से खड़े रहें। यह सम्मान सिर्फ तीन व्यक्तियों का नहीं, बल्कि पूरे डोंबिवली का है कि एक ऐसा शहर जहाँ खेल सिर्फ प्रतियोगिता नहीं, बल्कि एक संस्कार है।