नई दिल्ली। देश की राजनीति में हड़कंप मचाने वाली एक रिपोर्ट सामने आई है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने खुलासा किया है कि देश के लगभग 47% मंत्री आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं। इनमें हत्या, अपहरण और महिलाओं के खिलाफ अपराध जैसे गंभीर मामले भी शामिल हैं।
एडीआर ने यह आंकड़े 27 राज्यों, 3 केंद्रशासित प्रदेशों और केंद्र सरकार के मंत्रियों द्वारा चुनावी हलफनामों में दी गई जानकारी का विश्लेषण करने के बाद जारी किए हैं। रिपोर्ट बताती है कि 302 मंत्रियों पर केस दर्ज हैं, जिनमें से 174 पर गंभीर आपराधिक केस हैं।
केंद्रीय मंत्रियों की स्थिति
नेशनल लेवल पर देखें तो 72 केंद्रीय मंत्रियों में से 29 पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें कई ऐसे मंत्री भी हैं जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी माना जाता है। ऐसे में राजनीतिक गलियारों में इस रिपोर्ट को लेकर खासी हलचल है।
क्यों खास है यह रिपोर्ट?
यह रिपोर्ट ऐसे समय आई है जब केंद्र सरकार ने तीन अहम विधेयक पेश किए हैं। इन प्रस्तावित कानूनों के मुताबिक यदि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री किसी गंभीर अपराध के मामले में 30 दिन से ज्यादा जेल में रहते हैं, तो उन्हें अपनी कुर्सी छोड़नी होगी। हालांकि ये बिल अभी संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेजे गए हैं।
दागी मंत्रियों में कौन आगे?
- बीजेपी: कुल 336 मंत्रियों में से 136 (40%) पर केस दर्ज हैं, जिनमें 88 (26%) पर गंभीर मामले हैं।
- कांग्रेस: चार राज्यों में सरकार चला रही कांग्रेस के 45 मंत्रियों में से 21 (47%) दागी हैं, जिनमें से 18 पर गंभीर केस हैं।
- डीएमके: सबसे खराब स्थिति यहां है। 31 मंत्रियों में से 27 (87%) पर केस दर्ज हैं, जिनमें 14 (45%) गंभीर मामले हैं।
- टीएमसी: पार्टी के 40 मंत्रियों में से 13 (33%) दागी हैं, और 8 (20%) पर गंभीर केस दर्ज हैं।
किन राज्यों में साफ-सुथरी तस्वीर?
एडीआर रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तराखंड, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर और नागालैंड ऐसे राज्य हैं जहां किसी मंत्री के खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं है। जबकि दिल्ली, बिहार, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, ओडिशा, महाराष्ट्र, कर्नाटक, पंजाब, तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश और पुड्डुचेरी में 60% से ज्यादा मंत्री आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं।
राजनीतिक निहितार्थ
रिपोर्ट के सामने आने के बाद विपक्षी दल सरकार और बीजेपी पर हमलावर हो सकते हैं। खासकर जब केंद्र खुद ऐसा कानून लाने की तैयारी कर रहा है जो ‘दागी नेताओं’ की कुर्सी खतरे में डाल सकता है। सवाल यह है कि क्या सरकार इस दिशा में सख्ती दिखाएगी या फिर यह प्रस्ताव महज कागजों तक ही सीमित रहेगा।