पटना। बिहार की सियासत एक बार फिर गरमा गई है। एनडीए द्वारा बुलाए गए बिहार बंद को आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने सियासी रंग दे दिया। पीएम नरेंद्र मोदी को दी गई मां की गाली को लेकर एनडीए ने गुरुवार को बंद का ऐलान किया था, लेकिन लालू ने इसे गुजरात-बिहार की अस्मिता से जोड़कर बड़ा मुद्दा बना दिया।
लालू ने एक्स (ट्विटर) पर तीखे सवाल दागे। उन्होंने लिखा, “क्या प्रधानमंत्री मोदी ने भाजपाइयों को आदेश दिया है कि आज पूरे बिहार और बिहारियों की माताओं-बहनों और बेटियों को गाली दो?” साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि “गुजराती लोग बिहारियों को हल्के में न लें, यह बिहार है।”
लालू का हमला और बिहार की सियासत
लालू यादव ने भाजपा पर आरोप लगाया कि बंद के दौरान बीजेपी समर्थक महिलाओं, छात्राओं, गर्भवती महिलाओं और यहां तक कि पत्रकारों के साथ भी बदसलूकी कर रहे हैं। उन्होंने इसे लोकतांत्रिक मर्यादा के खिलाफ बताया।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि लालू का यह बयान जातिवाद और क्षेत्रवाद की भावनाओं को भड़का सकता है। उन्होंने सीधे गुजरात-बिहार का मुद्दा उठाकर एनडीए की टेंशन बढ़ा दी है। यह बयान चुनावी माहौल में महागठबंधन के लिए नया नैरेटिव बना सकता है।
क्यों बुलाया गया था बंद?
दरअसल, राहुल गांधी की मतदाता अधिकार यात्रा के दौरान मंच से पीएम मोदी के खिलाफ कथित अपशब्द बोले गए थे। भाजपा ने इसे “मां का अपमान” बताया और इसके खिलाफ सुबह 7 बजे से दोपहर 12 बजे तक बिहार बंद का ऐलान किया।
राज्य के सभी जिलों में एनडीए कार्यकर्ता सड़कों पर उतरे। कई जगहों पर हिंसक झड़पें और तोड़फोड़ की घटनाएं भी सामने आईं। बंद के दौरान रेल और आवश्यक सेवाओं को इससे मुक्त रखा गया।
केंद्रीय मंत्री भी फंसे जाम में
बंद के असर का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि केंद्रीय मंत्री किरन रिजिजू का काफिला भी जाम में फंस गया। वे बिहारशरीफ से राजगीर जा रहे थे, तभी नालंदा जिले के पतासंग गांव के पास NH-20 पर लंबे ट्रैफिक जाम में अटक गए।
बढ़ती चुनौतियां
लालू यादव का बयान और एनडीए का बंद मिलकर बिहार की सियासत को नई दिशा देते दिख रहे हैं। जहां भाजपा इसे “मां का अपमान” बताकर आक्रामक रुख में है, वहीं लालू यादव ने इसे “बिहारियों की अस्मिता” का मुद्दा बना दिया है। अब देखना होगा कि यह सियासी जंग किस ओर करवट लेती है।