फडणवीस सरकार पर भड़क उठा असंतोष, उद्धव गुट ने कहा “समाज की भावनाओं से खिलवाड़”
अश्विनी कुमार दुबे
नवी मुंबई। नवी मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (NaviMumbaiAirport) के उद्घाटन से पहले ही उसके नामकरण को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। हवाई अड्डे का नाम स्व. डी.बी. पाटिल (DBPatil) के नाम पर रखने के निर्णय ने जहां एक वर्ग में खुशी जगाई है, वहीं आगारी समाज के भीतर गहरा असमंजस और असंतोष फैल गया है। समाज के कुछ वर्गों का कहना है कि “सरकार ने यह फैसला राजनीतिक दबाव में लिया है, जबकि नामकरण प्रक्रिया पर पारदर्शिता नहीं रखी गई।”
आगारी समाज में मतभेद, सरकार पर अविश्वास (Airport Naming Dispute)
आगारी समाज के कई वरिष्ठ प्रतिनिधियों ने आरोप लगाया कि फडणवीस सरकार ने समाज की एकता को तोड़ने की कोशिश की है। एक वर्ग का कहना है कि “डी.बी. पाटिल हमारे समाज के गौरव हैं, लेकिन उनके नाम का उपयोग राजनीतिक लाभ के लिए नहीं होना चाहिए।” वहीं दूसरी ओर, कुछ स्थानीय संगठनों का कहना है कि “सरकार सिर्फ नाम बदलने में रुचि रखती है, न कि समाज के विकास में।”
शिवसेना (ठाकरे गुट) ने बोला हमला
शिवसेना (ठाकरे गुट) (Shivsena UBT) के नेताओं ने सरकार पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि “भाजपा विकास नहीं, भावनाओं की राजनीति कर रही है। नवी मुंबई एयरपोर्ट के उद्घाटन से पहले नामकरण की घोषणा जानबूझकर विवाद भड़काने के लिए की गई है।” पार्टी नेताओं ने कहा कि “फडणवीस सरकार यह दिखाना चाहती है कि उसने जनता की मांग मानी है, जबकि असलियत यह है कि उसने आगारी समाज के बीच भ्रम और विभाजन पैदा कर दिया है।”
स्थानीय नागरिकों का विरोध (LocalSentiment)
नवी मुंबई और रायगढ़ क्षेत्र के नागरिकों का कहना है कि “नामकरण से ज्यादा ज़रूरत इस बात की थी कि विस्थापितों को न्याय मिले।” कई लोगों ने आरोप लगाया कि अब भी पुनर्वास योजनाएं अधूरी हैं, मुआवज़ा लंबित है और जिनके घर-खेत अधिग्रहित हुए, उन्हें अभी तक स्थायी समाधान नहीं मिला।
आगारी समाज (Agari Samaj) के कई वरिष्ठ प्रतिनिधियों ने आरोप लगाया कि फडणवीस सरकार ने समाज की एकता को तोड़ने की कोशिश की है। एक वर्ग का कहना है कि “डी.बी. पाटिल हमारे समाज के गौरव हैं, लेकिन उनके नाम का उपयोग राजनीतिक लाभ के लिए नहीं होना चाहिए।” वहीं दूसरी ओर, कुछ स्थानीय संगठनों का कहना है कि “सरकार सिर्फ नाम बदलने में रुचि रखती है, न कि समाज के विकास में।
राजनीति बनाम सम्मान का टकराव
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि डी.बी. पाटिल का नाम सम्मान से जुड़ा हुआ है, लेकिन जब इसका उपयोग राजनीतिक प्रचार के तौर पर होता है, तो इसका असर समाज की एकता पर पड़ता है। उद्धव ठाकरे गुट के प्रवक्ताओं ने कहा, “सरकार ने अगर नामकरण में जल्दबाज़ी न की होती, तो आज यह मुद्दा सम्मान का प्रतीक होता, विवाद का नहीं।”
उद्घाटन से पहले विवाद की लहर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 8 अक्टूबर को होने वाले उद्घाटन से पहले यह नामकरण विवाद सरकार के लिए सिरदर्द बन गया है। विपक्षी दलों का कहना है कि “हवाई अड्डे का नाम किसी नेता या पार्टी की इच्छा से नहीं, बल्कि जनता की राय से तय होना चाहिए था।”
समाज की एकता पर मंडराता संकट
आगारी समाज के भीतर बढ़ते मतभेदों ने राजनीतिक दलों (MaharashtraPolitics) को चिंतित कर दिया है। कई संगठनों ने सरकार से मांग की है कि “नामकरण पर पुनर्विचार किया जाए और समाज की सर्वसम्मति से निर्णय लिया जाए।”
यदि सरकार ने जल्द कोई कदम नहीं उठाया, तो आगारी समाज के एक बड़े वर्ग द्वारा विरोध प्रदर्शन की संभावना जताई जा रही है।