

भिवंडी (ठाणे)। खारबाव रेलवे स्टेशन के समीप स्थित बंगालपाड़ा आदिवासी पाड़ा के करीब 40 घरों में रहने वाले नागरिकों की रोजमर्रा की जिंदगी रेलवे की घोर लापरवाही और मूलभूत सुविधाओं के अभाव में खतरे से घिरी हुई है। इन ग्रामीणों और उनके बच्चों को रोजाना रेलवे ट्रैक पार कर स्कूल और काम पर जाना पड़ता है – वो भी चलती ट्रेनों के बीच से या खड़ी मालगाड़ियों के नीचे से रेंगकर।
यह स्थिति सिर्फ असुविधा नहीं, बल्कि सीधे मौत को दावत देने जैसी है। न कोई रेलवे फाटक, न अंडरपास और न ही फुट ओवर ब्रिज – जिसके कारण बरसात के मौसम में पानी से भरे अंधेरे रेलवे पुल के नीचे से लोगों को गुजरना पड़ता है।
स्थानीय महिलाओं और नागरिकों ने बताया कि कई बार बीमार व्यक्तियों को कंधों पर उठाकर ट्रैक पार कराया गया है। इस भयावह स्थिति का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल भी हुआ है, लेकिन न रेलवे प्रशासन और न ही स्थानीय सरकारी तंत्र ने अब तक कोई ठोस कार्रवाई की है।
स्थानीय महिला हर्षदा चौधरी ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाते हुए जनप्रतिनिधियों से तत्काल समाधान की अपील की है। संपर्क करने पर सांसद सुरेश म्हात्रे उर्फ बाल्या मामा ने बताया कि उन्होंने रेल मंत्री को पत्र लिखकर इस गंभीर विषय पर तुरंत कार्रवाई की मांग की है।
लेकिन सवाल अब भी वहीं का वहीं है — क्या रेलवे किसी बड़ी दुर्घटना का इंतजार कर रही है?
क्या लोगों की जान को यूं ही खतरे में छोड़ देना ही नियति बन गई है?
बंगालपाड़ा के नागरिकों की यह पुकार प्रशासन और रेलवे के लिए एक चेतावनी है — अब और देरी नहीं, समाधान चाहिए, वो भी तुरंत।