
नई दिल्ली : विकसित भारत के लक्ष्य को साकार करने की दिशा में देश में बुनियादी ढांचे में अभूतपूर्व बदलाव हो रहे हैं। यह परिवर्तन अब केवल नीति और भाषणों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि एक्सप्रेसवे, एयरपोर्ट और स्मार्ट सिटी के रूप में ज़मीन पर साफ दिखाई दे रहा है। अब इस कड़ी में रेलवे भी तेजी से आधुनिकता की ओर बढ़ रहा है।
भारतीय रेल की पूर्व अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी जय वर्मा सिन्हा ने कहा कि जिस भारतीय रेलवे को पहले केवल एक यातायात माध्यम के रूप में देखा जाता था, अब वह आधुनिक भारत के परिवर्तन का प्रमुख स्तंभ बन चुका है। अमृत भारत स्टेशन परियोजना इसी व्यापक बदलाव का प्रतीक है।
देशभर में 1,300 से अधिक स्टेशनों का कायाकल्प
अमृत भारत स्टेशन योजना के अंतर्गत 1,300 से अधिक स्टेशनों का पुनर्विकास किया जा रहा है। इनका उद्देश्य केवल संरचनात्मक सुधार नहीं है, बल्कि यात्रियों की सुविधा, स्थानीय संस्कृति का सम्मान और शहरों की पहचान को भी समाहित करना है। अब रेलवे स्टेशन सिर्फ ट्रेन पकड़ने की जगह नहीं रहेंगे, बल्कि ये सांस्कृतिक, आर्थिक और सामाजिक गतिविधियों के केंद्र भी बनेंगे। यात्रियों को केवल सफर का अनुभव नहीं, बल्कि एक संपूर्ण सेवायुक्त वातावरण प्रदान किया जाएगा।
स्थानीयता और दीर्घकालिक दृष्टिकोण
इस परियोजना के तहत प्रत्येक स्टेशन का मास्टर प्लान बनाया जा रहा है, जिसमें स्थानीय ज़रूरतें, सांस्कृतिक विशेषताएं और भविष्य की यात्री वृद्धि को ध्यान में रखते हुए सुधार किए जा रहे हैं। डिज़ाइन में पारंपरिक वास्तुकला के साथ आधुनिक तकनीक और पर्यावरणीय सोच को जोड़ा जा रहा है।
यात्री सुविधा सर्वोपरि
यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा को प्राथमिकता देते हुए दिव्यांगजनों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए लिफ्ट, एस्केलेटर, विशेष रैंप जैसी व्यवस्थाएं की जा रही हैं। स्वच्छता, रोशनी, प्रतीक्षा कक्ष, खानपान और डिजिटल सूचना जैसे पहलुओं पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
रेलवे की सोच में बड़ा बदलाव
जय वर्मा सिन्हा के अनुसार, अमृत भारत स्टेशन परियोजना न केवल रेलवे की भौतिक छवि को बदल रही है, बल्कि भारतीय रेलवे की सोच को भी एक समग्र और मानव-केंद्रित दृष्टिकोण की ओर ले जा रही है। अब स्टेशन केवल ट्रांसपोर्ट हब नहीं, बल्कि शहरों की पहचान और विकास का आधार बनते जा रहे हैं।