मुंबई: कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा देश के सामने उजागर किए गए भाजपा और चुनाव आयोग के कथित “वोट चोरी गठजोड़” के बाद महाराष्ट्र की मतदाता सूची में अनियमितताओं का नया खुलासा हुआ है। कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता सचिन सावंत ने गंभीर आरोप लगाते हुए सवाल उठाया है कि सिर्फ चार दिनों में 6,55,709 नए मतदाता कैसे जोड़े गए? उन्होंने यह आंकड़ा स्वयं चुनाव आयोग के डेटा के हवाले से पेश किया है।
सावंत ने कहा कि चुनाव आयोग के अनुसार लोकसभा चुनाव के दौरान महाराष्ट्र में 9,29,43,890 पंजीकृत मतदाता थे। इसके बाद केंद्रीय चुनाव आयोग द्वारा 30 अगस्त 2024 तक की गई जांच में यह संख्या बढ़कर 9,53,74,302 हो गई — यानी चार महीनों में 24 लाख मतदाता बढ़े। फिर 15 अक्टूबर 2024 को विधानसभा चुनाव की घोषणा के समय मतदाताओं की संख्या 9,63,69,410 बताई गई।
चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार नामांकन की पहली तारीख से दस दिन पहले तक मतदाता पंजीकरण खुला रहता है। इसके बाद आठ दिनों तक जांच की जाती है और नामांकन के पहले दिन अंतिम पूरक सूची जारी की जाती है। चूँकि 29 अक्टूबर नामांकन का पहला दिन था, इसलिए पंजीकरण 19 अक्टूबर तक खुला रहा।
इस अवधि में — 16 अक्टूबर से 19 अक्टूबर के बीच — पंजीकरण सक्रिय रहा और जब 30 अक्टूबर को अंतिम पूरक सूची प्रकाशित की गई, तब मतदाताओं की संख्या 9,70,25,119 पहुँच गई।
इसका अर्थ है कि सिर्फ चार दिनों में 6,55,709 मतदाता जोड़े गए, जो बेहद असामान्य और संदेहास्पद है। सावंत ने कहा कि मतदाता पंजीकरण पूरे वर्ष नियमित रूप से जारी था, ऐसे में चुनाव की घोषणा के तुरंत बाद इतनी बड़ी संख्या में पंजीकरण होना “अभूतपूर्व और संदिग्ध” है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को इसका स्पष्टीकरण देना चाहिए।
सावंत ने आगे कहा कि यही त्रुटिपूर्ण मतदाता सूची अब 1 जुलाई 2025 तक बढ़ाई गई है, जिससे इसकी विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि विपक्षी दलों को मतदाता सूची तक पहुँच नहीं दी जा रही है और उन्हें इस पर आपत्ति दर्ज कराने का अवसर भी नहीं दिया जा रहा।
उन्होंने कहा, “राज्य चुनाव आयोग का यह रवैया पूरी तरह अलोकतांत्रिक है। भाजपा और चुनाव आयोग की मिलीभगत से तैयार की गई इस मतदाता सूची के आधार पर स्थानीय निकाय चुनाव कराना लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ होगा। विपक्षी दलों की इस विषय पर उठाई गई आपत्ति पूरी तरह न्यायसंगत है।”