
भिवंडी:
भिवंडी-वाडा और मानकोली-खारबाव-चिंचोटी सड़कों की खस्ता हालत और गहरे गड्ढों के खिलाफ श्रमजीवी संगठन ने गुरुवार, 26 जून 2025 को अनिश्चितकालीन रास्ता रोको आंदोलन शुरू किया। आंदोलन के कारण सैकड़ों वाहन फंसे और पूरे मार्ग पर यातायात ठप हो गया। आंदोलन का नेतृत्व संगठन के महासचिव बाळाराम भोईर, जिलाध्यक्ष अशोक सापटे और प्रदेश उपाध्यक्ष दत्तात्रय कोलेकर ने किया।
प्रदर्शन कवाड नाका, नांदीठणे, अंबाडी नाका, मालोडी, चिंचोटी, कुडूस, शिरीषपाडा, खंडेश्वरी नाका-वाडा सहित 11 स्थानों पर किया गया। कार्यकर्ताओं ने सड़कों पर तिरपाल बिछाकर, चूल्हा जलाकर विरोध दर्ज किया। इस आंदोलन को सामाजिक संगठनों, रिक्शा चालकों और आम नागरिकों का भी समर्थन मिला।
गौरतलब है कि भिवंडी-वाडा-मनोर सड़क 2012 से जर्जर है। 392 करोड़ रुपये की लागत से बनी इस सड़क पर सुप्रीम इंफ्रास्ट्रक्चर टोल वसूलता था, लेकिन रखरखाव के अभाव में टोल बंद हो गया। सार्वजनिक निर्माण विभाग ने 2019 से अब तक 150 करोड़ रुपये खर्च किए, फिर भी गड्ढे जस के तस हैं। ठेकेदारों ने बिना मरम्मत किए बिल पास कराए।
2022 से अब तक 138 दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 75 लोगों की मौत और सैकड़ों घायल हुए हैं।
18 दिसंबर 2023 को तत्कालीन निर्माण मंत्री रवींद्र चव्हाण ने विधान परिषद में जिजाऊ कंस्ट्रक्शन को ब्लैकलिस्ट करने की घोषणा की थी, लेकिन 19 महीने बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। संगठन के प्रवक्ता प्रमोद पवार ने चेतावनी दी है कि जब तक ठेकेदारों और अधिकारियों पर गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज नहीं होता और गड्ढों को कोल्ड मिक्स डामर से भरा नहीं जाता, आंदोलन जारी रहेगा।
जिलाध्यक्ष अशोक सापटे ने कहा,
“जनप्रतिनिधियों ने जनता की समस्याओं को नजरअंदाज किया। अगर विधायकों ने अधिकारियों से गड्ढे भरवाए होते, तो जनता उनका सम्मान करती।”
यह आंदोलन जनआक्रोश का प्रतीक बन गया है, जो सड़कों की दुर्दशा के खिलाफ जनता की आवाज़ बनकर उभरा है।