मुंबई। विहंगम योग के युवा संत विज्ञानदेव जी महाराज ने यज्ञ की महिमा को उजागर करते हुए कहा कि श्रद्धा से दी गई यज्ञ की आहुतियां सतयुग का साक्षात्कार कराती हैं। वैदिक मंत्रों की ध्वनि में समर्पित आहुतियां हमारी सनातन संस्कृति को जीवंत करती हैं।
स्वर्वेद संदेश यात्रा के माध्यम से वे कश्मीर से कन्याकुमारी तक आध्यात्मिक चेतना फैला रहे हैं। 25–26 नवंबर को वाराणसी के स्वर्वेद महामंदिर में होगा 25,000 कुंडीय स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ, जिसमें देशभर से श्रद्धालु भाग लेंगे। समर्पण दीप आध्यात्मिक महोत्सव में लाखों दीप जलाकर संविधान दिवस भी मनाया जाएगा।
संतश्री ने कहा, “आध्यात्म हमें आत्मा से परमात्मा की ओर ले जाता है। सेवा, त्याग और समर्पण ही सनातन धर्म की आत्मा हैं।” उन्होंने युवाओं को धर्म और आध्यात्म का ध्वज थामकर भारत को फिर से विश्व गुरु बनाने का आह्वान किया।
प्रेरणा वाक्य:
यज्ञ से जीवन में अनुशासन आता है, योग से आत्मा का बोध होता है, और समर्पण से संस्कृति का उत्थान होता है।
