मुंबई।
“भगवान की भक्ति के लिए भाव जरूरी है। वह इतने दयालु हैं कि एक प्रणाम से ही प्रसन्न हो जाते हैं और सभी दोष क्षमा कर देते हैं।” — यह उद्गार व्यक्त किए जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने।
वह बोरीवली स्थित कोराकेंद्र मैदान में चल रहे चातुर्मास्य व्रत महोत्सव में श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा, “हमारे भगवान तो एक लोटा जल से भी खुश हो जाते हैं। वह भक्तों से कुछ नहीं लेते, बल्कि सब कुछ लौटा देते हैं।”
33 कोटी गौप्रतिष्ठा महायज्ञ का आयोजन
महाराजश्री के सानिध्य में 108 कुंडीय “33 कोटी गौप्रतिष्ठा महायज्ञ” का आयोजन हो रहा है, जिसमें प्रतिदिन 7 लाख आहुतियां दी जा रही हैं। हर कुंड पर चार आचार्य सेवाएं दे रहे हैं। बड़ी संख्या में श्रद्धालु अपने परिवार के नाम से आहुतियां दे रहे हैं और यज्ञ की परिक्रमा भी कर रहे हैं।
स्वामीजी ने बताया कि यज्ञ से रोग और दोष मिटते हैं, मन-बुद्धि और वातावरण शुद्ध होता है तथा सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यज्ञ देवताओं को प्रसन्न करते हैं, जो हर श्रद्धालु को आशीर्वाद देते हैं।
भगवद्भक्ति का संदेश
स्वामीजी ने मंदिरों में बजने वाले घंटे की ध्वनि को भक्ति की तरंगों का जागरण बताया। उन्होंने कहा, “जहां भी हों, भगवान का स्मरण करें। शुद्ध मन और पूरे भक्तिभाव से किया गया सुमिरन भगवान को अत्यंत प्रिय है।”
उन्होंने सभी धर्मप्रेमियों से अपील की कि भगवान को कभी दूर न समझें — “वे आकाश में, धरती पर, और धरती के नीचे भी मौजूद हैं। बस हमें भाव बनाकर भक्ति करते रहना चाहिए।”
चातुर्मास्य का समापन 7 सितंबर को
स्वामीजी का चातुर्मास्य व्रत महोत्सव 7 सितंबर तक चलेगा। आयोजकों ने समस्त श्रद्धालुओं से इसमें भाग लेने का अनुरोध किया है।