
भिवंडी (ठाणे)। भिवंडी-वाडा-मनोर और खारबाव-कामण-चिंचोटी मार्ग की जर्जर हालत के विरोध में श्रमजीवी संगठन द्वारा गुरुवार को शुरू किया गया रास्ता रोको आंदोलन देर रात 11:30 बजे प्रशासन के लिखित आश्वासन के बाद समाप्त किया गया। आंदोलन की व्यापकता, जनसहभागिता और शांतिपूर्ण संगठन ने प्रशासन को झुकने पर मजबूर कर दिया।
9 स्थानों पर एकसाथ रास्ता रोको, प्रदर्शन स्थल पर ही जलाए गए चूल्हे:
सुबह 11 बजे शुरू हुए आंदोलन में भिवंडी, वाडा और वसई तालुका के 9 प्रमुख स्थानों — कवाड नाका, नांदीठणे, अंबाडी नाका, मालोडी, चिंचोटी, कामण, कुडूस, डाकिवली फाटा, शिरीष पाडा और खंडेश्वरी नाका — पर सैकड़ों नागरिकों, महिलाओं और छात्रों ने भाग लिया। आंदोलनकारियों ने प्रदर्शन स्थल पर ही चूल्हे जलाकर खाना पकाया और कहा कि जब तक समाधान नहीं, आंदोलन जारी रहेगा।
प्रशासन की घेराबंदी, 7 घंटे लंबी बैठक के बाद बनी सहमति:
शाम 4:30 बजे आंदोलन के नेतृत्वकर्ताओं को अंबाडी में बुलाया गया, जहां अधीक्षक अभियंता सिद्धार्थ तांबे, कार्यकारी अभियंता सचिन पाटील, उपविभागीय अधिकारी संदीप चव्हाण, पुलिस अधिकारी राहुल झाल्टे पाटील, तहसीलदार अभिजीत खोले और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ करीब 7 घंटे तक बैठक चली।
प्रमुख निर्णय और प्रशासन का लिखित आश्वासन:
- सड़कों की मरम्मत की कार्य योजना तुरंत बनाई जाएगी और शुक्रवार से काम शुरू होगा।
- निर्माण मंत्री और मुख्यमंत्री कार्यालय ने आंदोलन पर संज्ञान लिया है।
- खराब कार्य करने वाले ठेकेदारों को ब्लैकलिस्ट किया जाएगा।
- ठाणे जिलाधिकारी को जांच की जिम्मेदारी और आपराधिक मामला दर्ज करने का निर्देश।
- सभी घोषणाएं लिखित रूप में आंदोलनकर्ताओं को सौंपी गईं।
नेताओं की भूमिका और जनआंदोलन की ताकत:
इस आंदोलन का नेतृत्व दत्तात्रेय कोलेकर, बाळाराम भोईर, विजय जाधव, अशोक सापटे, प्रमोद पवार और पूजा माळी सहित कई स्थानीय नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने किया। आंदोलन ने यह साबित किया कि जब जनता शांतिपूर्ण और संगठित तरीके से अपनी मांग उठाती है, तो प्रशासन को सुनना ही पड़ता है।
अब सभी की नजर इस पर है कि दिए गए लिखित आश्वासन पर ज़मीन पर कब और कैसे अमल होता है।