भिवंडी। एक ओर जहां भिवंडी मनपा में 950 से अधिक पद वर्षों से रिक्त पड़े हैं और योग्य कर्मचारियों की भारी कमी है, वहीं दूसरी ओर मनपा प्रशासन ने कार्यों में “पारदर्शिता” लाने के नाम पर एक अजीब निर्णय लिया है—अब एक पद पर दो-दो अधिकारियों की नियुक्ति की जा रही है। इस फैसले को लेकर शहर में हैरानी और नाराज़गी दोनों देखने को मिल रही है।
मनपा में लंबे समय से वर्ग तीन और चार के पद रिक्त हैं। भर्ती न होने की वजह से सफाई कर्मचारी, क्लर्क और अन्य स्टाफ को प्रभारी अधिकारी बनाकर काम चलाया जा रहा है। परिणामस्वरूप विकास कार्य ठप पड़े हैं और प्रशासनिक कार्यों में सुस्ती, अव्यवस्था और भ्रष्टाचार खुलकर सामने आ रहा है। कई महत्वपूर्ण पदों पर स्थायी नियुक्तियां न होने से प्रभाग समितियों से लेकर विभागों तक “प्रभारियों” के भरोसे ही व्यवस्था चल रही है।
सबसे हैरानी की बात यह है कि इन कमियों के बावजूद मनपा प्रशासन ने अब “डबल ड्यूटी” का नया प्रयोग शुरू किया है। आदेश के अनुसार अब हर प्रभाग समिति में एक-एक पद पर दो-दो अधिकारी तैनात किए गए हैं। जैसे कर निरीक्षक के साथ अब सहायक कर निरीक्षक भी काम करेगा। बीट निरीक्षक के साथ जोड़ीदार बीट निरीक्षक भी नियुक्त होगा। यह आदेश मनपा उपायुक्त बिक्रम दराड़े द्वारा जारी किया गया है।
उदाहरण के तौर पर, प्रभाग क्रमांक 1 में रविंद्र जाधव के साथ नितीन जामेकर को बीट निरीक्षक बनाया गया है। शिक्षा विभाग के अभिजीत जाधव को कर निरीक्षक का सहायक बना दिया गया है। इतना ही नहीं, सफाई कर्मी को निरीक्षक और प्रभारी क्लर्क को क्षेत्रीय निरीक्षक जैसी जिम्मेदारी सौंप दी गई है। यह निर्णय प्रशासनिक अनुभव और योग्यता को दरकिनार कर मनमानी की ओर इशारा करता है।
मनपा के वरिष्ठ अधिकारी इसे “प्रशिक्षण का अवसर” बताकर सही ठहराने की कोशिश कर रहे हैं। उनका मानना है कि इससे नए कर्मचारियों को काम सीखने का मौका मिलेगा। लेकिन स्थानीय नागरिक और मनपा कर्मचारियों के संगठनों का कहना है कि यह व्यवस्था न केवल प्रशासनिक अनिश्चितता को बढ़ा रही है, बल्कि मनपा को ‘प्रयोगशाला’ बनाकर जनता के साथ मज़ाक किया जा रहा है।
सवाल यह उठता है कि क्या पारदर्शिता के नाम पर मनपा प्रशासन खुद को ‘स्मार्ट’ साबित करने में लगा है या फिर यह एक और प्रशासनिक भ्रमजाल है जिसमें जिम्मेदारी की कोई स्पष्टता नहीं है? जब एक सफाई कर्मचारी को निरीक्षक बना दिया जाए और क्लर्क को कर विभाग का सहायक निरीक्षक, तो फिर विकास की राह पर भिवंडी कैसे आगे बढ़ेगी?