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rashtriyaswabhimaan.com > Politics > BIHAR ELECTION 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025: मतदान दो चरणों में, जानें अपनी सीट की वोटिंग तारीख
Politicsबिहारभारत

BIHAR ELECTION 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025: मतदान दो चरणों में, जानें अपनी सीट की वोटिंग तारीख

Rastriya Swabhimaan
Last updated: October 6, 2025 1:44 pm
Rastriya Swabhimaan
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पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तारीखों का ऐलान कर दिया गया है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने 4 अक्टूबर को प्रेस कॉन्फ्रेंस में चुनाव शेड्यूल की घोषणा की। इस बार राज्य की 243 विधानसभा सीटों पर मतदान सिर्फ दो चरणों में संपन्न होगा, जो बिहार के इतिहास में पहली बार है।

Contents
पहला चरण (6 नवंबर 2025)दूसरा चरण (11 नवंबर 2025)
  • पहला चरण: 6 नवंबर 2025 (121 सीटें)
  • दूसरा चरण: 11 नवंबर 2025 (122 सीटें)
  • मतगणना: 14 नवंबर 2025

मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने बताया कि इस बार बिहार में SIR प्रक्रिया अपनाई गई है और अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर को प्रकाशित कर दी गई है। बिहार में कुल 7.43 करोड़ मतदाता हैं, जिनमें 14 लाख फर्स्ट टाइम वोटर्स शामिल हैं। चुनाव आयोग ने हर बूथ पर 1200 से अधिक मतदाता नहीं रखने का निर्णय लिया है, जिससे पोलिंग स्टेशन की संख्या बढ़ेगी। सभी पोलिंग स्टेशनों पर वेबकास्टिंग की सुविधा रहेगी, जिससे अधिकारी पूरी प्रक्रिया पर नजर रख सकेंगे।

http://ceobihar.nic.in

https://www.eci.gov.in/election-details/2025/S04/3

पहला चरण (6 नवंबर 2025)

पटना (14 सीटें): मसौढ़ी (SC), पालीगंज, बिक्रम, मनेर, फुलवारीशरीफ (SC), दीघा, बांकीपुर, कुम्हरार, पटना साहिब, फतुहा, बाढ़, मोकामा, दानापुर, बख्तियारपुर

नालंदा (7 सीटें): हरनौत, अस्थावां, इस्लामपुर, हिलसा, नालंदा, राजगीर, बिहारशरीफ

भोजपुर (7 सीटें): आरा, अगिआंव, शाहपुर, बड़हरा, जगदीशपुर, तरारी, संदेश

बक्सर (4 सीटें): बक्सर, डुमरांव, राजपुर, ब्रह्मपुर

शेखपुरा (2 सीटें): बरबीघा, शेखपुरा

खगड़िया (4 सीटें): परबत्ता, बेलदौर, अलौली (SC), खगड़िया

मुंगेर (4 सीटें): जमालपुर, मुंगेर, तारापुर

मुजफ्फरपुर (9 सीटें): गायघाट, औराई, मीनापुर, बोचहां, सकरा, कुढ़नी, मुजफ्फरपुर, कांटी, बरुराज, पारू, साहेबगंज

दरभंगा (10 सीटें): घनश्यामपुर, बेनीपुर, अलिनगर, दरभंगा ग्रामीण (SC), दरभंगा, हायाघाट, बहादुरपुर, जाले, मनीगाछी, सिंहवाड़ा

सहरसा (4 सीटें): सिमरी बख्तियारपुर, सोनबरसा (SC), महिषी, सहरसा

मधेपुरा (4 सीटें): आलमनगर (SC), बिहारीगंज, मधेपुरा, सिंहेश्वर (SC)

सिवान (8 सीटें): दरौली (SC), रघुनाथपुर, दरौंदा, सिवान, जीरादेई, दरौंदा, महाराजगंज, बड़हरिया

गोपालगंज (6 सीटें): कटया, बैकुंठपुर, भोरे (SC), हथुआ, गोपालगंज, कुचायकोट

सारण (8 सीटें): तरैया, परसा, सोनपुर, छपरा, गरखा (SC), अमनौर, मरहौरा, एकमा

वैशाली (7 सीटें): महुआ, लालगंज, वैशाली, पातेपुर (SC), हाजीपुर, राघोपुर, राजापाकड़

समस्तीपुर (10 सीटें): रोसड़ा (SC), समस्तीपुर, मोरवा, सरायरंजन, उजियारपुर, वारिसनगर, हसनपुर, सखौरा, शिवाजीनगर, बिथान


दूसरा चरण (11 नवंबर 2025)

गया (10 सीटें): बेलागंज, गया टाउन, बोधगया, टिकारी, शेरघाटी, बाराचट्टी, अतरी, इमामगंज, गुरुवा

कैमूर (4 सीटें): चैनपुर, मोहनिया, भभुआ, रामगढ़

रोहतास (7 सीटें): नोखा, डेहरी, काराकाट, करगहर, सासाराम, चेनारी, दिनारा

औरंगाबाद (6 सीटें): गोह, ओबरा, नवीनगर, कुटुम्बा (SC), औरंगाबाद, रफीगंज

अरवल (2 सीटें): अरवल, कुर्था

जहानाबाद (3 सीटें): जहानाबाद, मखदूमपुर (SC), घोसी

नवादा (5 सीटें): हिसुआ, नवादा, गोविंदपुर, वारसलीगंज, रजौली (SC)

भागलपुर (5 सीटें): बिहपुर, गोपालपुर, पीरपैंती, भागलपुर, सुल्तानगंज, कहलगांव, नाथनगर

बांका (4 सीटें): धोरैया, बांका, कटोरिया, बेलहर

जमुई (4 सीटें): सिकंदरा, जमुई, झाझा, चकाई

सीतामढ़ी (8 सीटें): बथनाहा, परिहार, सुरसंड, रीगा, सीतामढ़ी, बाजपट्टी, रुन्नीसैदपुर, बेलसंड

शिवहर (1 सीट): शिवहर

मधुबनी (10 सीटें): खजौली, लौकहा, झंझारपुर, जयनगर, बिस्फी, माधवपुर, बाबूबरही, फुलपरास, बासोपट्टी, बेनीपट्टी

सुपौल (5 सीटें): त्रिवेणीगंज (SC), छातापुर, निर्मली, सुपौल, पिपरा

पूर्णिया (6 सीटें): कसबा, बनमनखी (SC), रूपौली, धमदाहा, पूर्णिया, बायसी

अररिया (6 सीटें): नरपतगंज, रानीगंज (SC), फारबिसगंज, अररिया, जोकीहाट, सिकटी

कटिहार (6 सीटें): बरारी, कोढ़ा, कटिहार, कदवा, बलरामपुर, प्राणपुर

किशनगंज (4 सीटें): ठाकुरगंज, किशनगंज, बहादुरगंज, कोचाधामन (SC)

पूर्वी चंपारण (12 सीटें): गोविंदगंज, केसरिया, चकिया (SC), पिपरा, मढौरा, सुगौली, रक्सौल, मोतिहारी, हरसिद्धि (SC), अरेराज, ढाका, कल्याणपुर

पश्चिमी चंपारण (9 सीटें): बगहा, लौकरिया (SC), रामनगर (SC), नरकटियागंज, बैरिया, चनपटिया, सिमरिया, मैनाटांड़, बेतिया

आदर्श आचार संहिता कितने दिनों तक लागू रहती है?

चुनाव आयोग द्वारा चुनाव तारीखों की घोषणा की तारीख से इसे लागू किया जाता है और यह चुनाव प्रक्रिया के पूर्ण होने तक लागू रहती है। लोकसभा चुनावों के दौरान आदर्श आचार संहिता पूरे देश में जबकि विधानसभा चुनावों के दौरान पूरे राज्य में लागू होती है।

आदर्श आचार संहिता की विशेषताएं क्या हैं?

इसकी मुख्य विशेषताएं निर्धारित करती हैं कि राजनीतिक दलों, चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों और सत्ताधारी दलों को चुनाव प्रक्रिया के दौरान कैसा व्यवहार करना चाहिए। चुनाव प्रक्रिया, बैठकें आयोजित करने, शोभा यात्राओं, मतदान दिन की गतिविधियों और सत्ताधारी दल के कामकाज भी संहिता से निर्धारित होते हैं।

मंत्री अपने आधिकारिक दौरे को चुनाव प्रचार संबंधी कार्यों के साथ नहीं मिलाएंगे और न ही चुनाव प्रचार संबंधी कार्यों के दौरान सरकारी तंत्र या कार्मिकों का प्रयोग करेंगे। हालांकि, चुनाव प्रचार दौरे के साथ आधिकारिक दौरे को मिलाने संबंधी आदर्श आचार संहिता के प्रावधान से प्रधानमंत्री को छूट है।

विमान, वाहनों इत्यादि सहित कोई भी सरकारी वाहन किसी दल या उम्मीदवार के हितों को लाभ पहुंचाने के लिए प्रयोग नहीं किया जाएगा।

सरकार के लिए क्या नियम होते हैं?

चुनाव के आयोजन से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए सभी अधिकारियों या पदाधिकारियों के स्थानांतरण और तैनाती पर संपूर्ण प्रतिबंध होगा। यदि किसी अधिकारी का स्थानांतरण या तैनाती आवश्यक मानी जाती है तो पहले आयोग की अनुमति ली जाएगी। मंत्रियों को अपना आधिकारिक वाहन केवल अपने आधिकारिक निवास से अपने कार्यालय तक शासकीय कार्यों के लिए ही मिलेगा। इसमें शर्त है कि इस प्रकार के सफर को किसी चुनाव प्रचार कार्य या राजनीतिक गतिविधि से न जोड़ा जाए।

सरकारी योजनाओं, निर्माण कार्य पर क्या नियम लागू होते हैं?

चुनाव के दौरान प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सरकारी खर्चे पर पार्टी की उपलब्धियों के संबंध में विज्ञापन और सरकारी जन-सम्पर्क निषेध है।

केंद्र में सत्ताधारी पार्टी/राज्य सरकार की उपब्धियों को प्रदर्शित करने वाले होर्डिंग या विज्ञापनों को सरकारी खर्चे पर जारी नहीं रखा जाएगा। प्रदर्शित किए गए इस प्रकार के सभी होर्डिंग, विज्ञापन इत्यादि संबंधित प्राधिकारियों द्वारा तुरंत हटा दिए जाएंगे। इसके अतिरिक्त, अखबारों और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया सहित अन्य मीडिया पर सरकारी राजकोष के खर्चें पर कोई विज्ञापन जारी नहीं होगा।

चुनावों की घोषणा से पूर्व जारी कार्य आदेश के संबंध में यदि क्षेत्र में कार्य शुरू नहीं किया गया है तो उसे शुरू नहीं किया जाएगा। परंतु यदि काम शुरू कर दिया गया है तो उसे जारी रखा जा सकता है।

सरकार की योजनाओं और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के लिए कई दिशा-निर्देश हैं। इंदिरा आवास योजना के अंतर्गत कोई भी नया निर्माण कार्य आरंभ नहीं किया जाएगा और चुनावों के पूरा होने तक किसी भी नए लाभार्थी को स्वीकृति नहीं दी जाएगी।

संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना (एसजीआरवाई) चल रहे कार्यों को जारी रखा जा सकता है। राष्ट्रीय रोजगार ग्रामीण गारंटी अधिनियम (एनईआरजीए) ग्रामीण विकास मंत्रालय ऐसे जिलों की संख्या नहीं बढ़ाएगा जिनमें चुनावों की घोषणा के पहले से ही ऐसी योजनाओं का कार्यान्वयन हो रहा है। चुनावों की घोषणा के बाद जॉब कार्ड धारक को चल रहे काम में तभी रोजगार उपलब्ध करवाया जा सकता है यदि वे काम की मांग करें।

मंत्री या अन्य प्राधिकारी किसी भी रूप में कोई वित्तीय अनुदान या उससे संबंधित कोई वादा नहीं करेंगे। किसी परियोजना अथवा योजना की आधारशिला इत्यादि नहीं रखी जा सकेगी। सड़क बनवाने, पीने के पानी की सुविधा इत्यादि उपलब्ध करवाने का कोई वादा भी नहीं किया जाएगा। इसके अलावा सरकार या निजी क्षेत्र के उपक्रमों में तदर्थ आधार पर कोई नियुक्ति भी नहीं पाएंगे। कुछ मामलों में वरिष्ठ सरकारी अधिकारी किसी राजनीतिक पदाधिकारी को शामिल किए बिना आधारशिला इत्यादि रख सकते हैं।

गेहूं और अन्य कृषि-संबंधी उत्पादों का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करने के लिए चुनाव आयोग से परामर्श लिया जा सकता है।

चुनाव प्रचार के लिए क्या नियम हैं?

चुनाव आयोग के अनुसार, कोई दल या उम्मीदवार ऐसी किसी गतिविधि में शामिल नहीं होगा जो धार्मिक या भाषायी जातियों और समुदायों, के बीच मतभेद को बिगाड़े या परस्पर घृणा या तनाव उत्पन्न करे।

जब राजनीतिक दलों की आलोचना की जाए, तो उसे उनकी नीतियों और कार्यक्रम, विगत रिकॉर्ड और कार्य तक ही सीमित रखा जाएगा। दल और उम्मीदवार दूसरे दलों के नेताओं या कार्यकर्ताओं की निजी जिंदगी के सभी पहलुओं की आलोचना करने से दूर रहें। इसमें शर्त है कि ये पहलू किसी के सार्वजनिक गतिविधियों से जुड़े नहीं होने चाहिए। तोड़-मरोड़ कर या असत्यापित आरोपों के आधार पर दूसरे दलों या उनके कार्यकर्ताओं की आलोचना करने से बचना होगा।

वोट हासिल करने के लिए जाति या संप्रदाय की भावनाओं के आधार पर कोई अपील नहीं की जाएगी। मस्जिदों, चर्चों, मंदिरों और अन्य पूजा स्थलों का चुनाव प्रचार के मंच के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।

सभी दल और प्रत्याशी ऐसी सभी गतिविधियों से परहेज करेंगे जो निर्वाचन विधि के अधीन भ्रष्ट आचरण और अपराध हैं। ये गतिविधियां हैं मतदाताओं को घूस देना, मतदाताओं को डराना-धमकाना, हमशक्ल मतदाता से मतदान करवाना, मतदान केंद्रों से 100 मीटर की दूरी के भीतर प्रचार करना, मतदान समाप्त होने के लिए नियत घंटे के साथ समाप्त होने वाले 48 घंटों की अवधि के दौरान सार्वजनिक बैठकें आयोजित करना और मतदाताओं को मतदान केंद्रों तक ले जाने और वापस लाने के लिए परिवहन और वाहन की व्यवस्था करना।

प्रत्येक व्यक्ति के अधिकार का सम्मान किया जाएगा, फिर चाहे राजनीतिक दल और प्रत्याशी उसके राजनीतिक मत या गतिविधियों को कितना भी नापसंद क्यों न करते हों। लोगों के मत या गतिविधियों के प्रति विरोध जताने के लिए उनके घरों के सामने किसी भी परिस्थिति में न तो प्रदर्शन आयोजित किया जाएगा और न ही धरना दिया जाएगा।

कोई भी राजनीतिक दल या उम्मीदवार अपने अनुयायियों को किसी भी व्यक्ति की अनुमति के बिना उसकी भूमि, भवन, परिसर की दीवारों इत्यादि पर झंडा लगाने, बैनर लटकाने, सूचना चिपकाने, नारा लिखने इत्यादि की अनुमति नहीं देगा।

राजनैतिक दल और उम्मीदवार यह सुनिश्चित करेंगे कि उनके समर्थक दूसरे दलों द्वारा आयोजित बैठकों और जुलूसों में न तो बाधा खड़ी करें और न ही उन्हें भंग करें। एक दल द्वारा उन स्थानों के आसपास जुलूस नहीं निकाला जाएगा, जहां दूसरे दल द्वारा बैठकें आयोजित की गई हों। एक दल के द्वारा लगाए गए पोस्टर दूसरे दल के कार्यकर्ताओं द्वारा नहीं हटाए जाएंगे।

आयोग ने राजनीतिक प्रयोग के लिए स्कूलों और कॉलेज के मैदानों (पंजाब और हरियाणा राज्य को छोड़कर जहां पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय से विशेष निषेध है) के प्रयोग की अनुमति नहीं दी है।

सार्वजनिक संपत्ति पर उम्मीदवार संबंधित पार्टी अथवा उम्मीदवार के पोस्टर, प्लेकार्ड, बैनर, ध्वज आदि को लागू स्थानीय कानून के प्रावधानों और निषेधात्मक आदेशों के अध्यधीन प्रदर्शित कर सकता है।

उम्मीदवार चुनाव के समापन के लिए तय किए गए समय के साथ समाप्त होने वाले 48 घंटे की अवधि के दौरान सिनेमा, टेलीविजन या अन्य इसी तरह के उपकरण के माध्यम से जनता को किसी भी चुनाव सामग्री अथवा प्रचार को प्रदर्शित नहीं कर सकते हैं।

चुनाव प्रचार अवधि समाप्त होने के बाद राजनीतिक पदाधिकारियों की किसी चुनावक्षेत्र में उपस्थिति पर प्रतिबंध है। प्रचार बंद होने के बाद राजनीतिक पदाधिकारी आदि, जो चुनाव क्षेत्र के बाहर से आए हैं और जो चुनाव क्षेत्र के मतदाता नहीं हैं, उन्हें चुनाव क्षेत्र में मौजूद नहीं रहना चाहिए। ऐसे पदाधिकारी को प्रचार अवधि समाप्त होने के तुरंत बाद चुनाव क्षेत्र को छोड़ देना चाहिए।

किसी भी सार्वजनिक या निजी स्थान पर सभा आयोजित करने और जुलूस निकालने के लिए संबंधित पुलिस अधिकारियों से पूर्व लिखित अनुमति लेनी चाहिए। रात 10.00 बजे से प्रात: 6.00 बजे के बीच लाउडस्पीकर का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। जन सभाएं सुबह 6.00 बजे से पहले और शाम 10 बजे के बाद आयोजित नहीं की जा सकती हैं। इसके अतिरिक्त, उम्मीदवार प्रचार बंद होने के दौरान जनसभाएं और जुलूस नहीं निकाल सकते।

मतदान केंद्र के लिए क्या?

मतदान के दिन मतदान केंद्र के एक सौ मीटर की दूरी के भीतर वोटों के लिए प्रचार करना निषिद्ध है। मतदान के दिन मतदान केंद्र के आसपास किसी भी तरह के हथियारों से लैस किसी भी व्यक्ति को हथियार ले जाने की अनुमति नहीं है। प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से परिवहन के लिए किसी भी प्रकार के वाहन द्वारा किसी भी मतदाता को मतदान केंद्र तक लाने ले जाने के लिए कोई भी व्यवस्था अपराध है।

उपचुनाव का पूरा शेड्यूल
चुनाव आयोग ने बताया कि उपचुनाव की अधिसूचना 13 अक्टूबर को जारी की जाएगी और 20 अक्टूबर तक प्रत्याशी अपना नामांकन कर सकेंगे। प्रत्याशियों द्वारा जमा किए गए नामांकन को चुनाव आयोग 22 अक्टूबर तक जांच करेगा। इसके साथ ही 24 अक्टूबर तक प्रत्याशी अपना नाम वापस ले सकेंगे। मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि इन सभी 8 सीटों पर 11 नवंबर को मतदान होगा और मतगणना 14 नवंबर को की जाएगी। 16 नवंबर को चुनाव प्रक्रिया समाप्त हो जाएगी।
खास ऑफर्स

किन 8 सीटों पर होंगे उपचुनाव
चुनाव आयोग ने जम्मू-कश्मीर की बडगाम विधानसभा सीट पर उपचुनाव की घोषणा की है, यह सीट उमर अब्दुल्ला के इस्तीफे के बाद खाली हुई थी। जबकि जम्मू-कश्मीर की नगरोटा सीट देवेंद्र सिंह राणा के निधन से खाली हुई थी। राजस्थान की अंता सीट कंवरलाल को अयोग्य घोषित किए जाने के बाद खाली हुई थी। झारखंड की घाटशिला सीट पर भी उपचुनाव होने हैं। यह सीट तत्कालीन विधायक रामदास सोरेने के निधन से खाली हुई थी। पंजाब की तरनतारन सीट भी कश्मीर सिंह सोहल के निधन के कारण खाली हुई। इसके अलावा तेलंगाना की जुबली हिल्स, मिजोरम की डंपा सीट और ओडिशा की नुआपाड़ा की सीट भी मौजूदा विधायक के निधन से खाली हुई है। ओडिशा की नुआपाड़ा सीट राजेंद्र ढोलकिया के निधन से खाली हुई है।

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