मुंबई। जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने अपने चातुर्मास व्रत महोत्सव के दौरान कहा कि दहीहांडी कोई साधारण आयोजन नहीं, बल्कि संगठन शक्ति और आध्यात्मिक विकास का प्रतीक है।
उन्होंने कहा कि दूध बिखर जाता है, पर दही और माखन एकत्र होकर शक्ति का प्रतीक बनते हैं। इसी संगठन शक्ति को बढ़ाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने दही-माखन की चोरी की लीला की।
शंकराचार्य जी ने कहा—
• “दहीहंडी का उत्सव हमारी प्रकृति बदल देता है। जहाँ सामान्य जीवन में लोग टांग खींचते हैं, वहीं यहाँ लोग दूसरों को ऊपर चढ़ने में मदद करते हैं।”
• “यह पर्व हमें श्रीकृष्ण के साथ गोप-ग्वाल बनने का अवसर देता है।”
मुंबई के बोरीवली स्थित कोराकेंद्र ग्राउंड पर उनके चातुर्मास्य महामहोत्सव के दौरान जन्माष्टमी धूमधाम से मनाई गई। शंकराचार्य जी ने श्रद्धालुओं को आशीर्वाद दिया और स्वयं प्रसाद वितरित किया।
उन्होंने आगे कहा कि भगवान की भक्ति का आधार प्रेम है। “यदि हम आत्म पदार्थ में प्रेम बढ़ाएँ, तो हमें समाधान के लिए बाहर भटकना नहीं पड़ेगा। ब्रह्म हमारे भीतर ही है, बस उसे पहचानने की आवश्यकता है।”