मॉरीशस। आर्यम इंटरनेशनल फ़ाउंडेशन मॉरीशस के अंतर्गत संचालित भगवान शंकर आश्रम, कतरबोर्न पालमा में श्रावण पूर्णिमा और रक्षाबंधन के पावन अवसर पर भव्य वैदिक अनुष्ठान एवं पुष्पार्चन संपन्न हुआ। इस अवसर पर बड़ी संख्या में भारतवंशी श्रद्धालु उपस्थित रहे और वातावरण वैदिक मंत्रों की गूंज से अनुपम बना रहा। यह विशेष आयोजन भारत से पधारे परमप्रज्ञ जगद्गुरु प्रो. पुष्पेंद्र कुमार आर्यम जी महाराज के सानिध्य में हुआ। उन्होंने अपने प्रवचन में श्रावण मास की महिमा, रक्षाबंधन के आध्यात्मिक महत्व और सनातन धर्म के मूल्यों पर विस्तार से प्रकाश डाला। गुरुदेव ने कहा, “सनातन धर्म के मूल्य वैज्ञानिक व सार्वभौमिक हैं, जिन्हें अपनाकर आनंदमय और संतुलित जीवन जिया जा सकता है।” साथ ही उन्होंने युवाओं से अपने संस्कारों और प्राचीन संस्कृति से जुड़ने का आह्वान किया। कार्यक्रम में मॉरीशस से जुड़ी एक प्राचीन लोककथा का उल्लेख भी किया गया, जिसके अनुसार भगवान श्रीराम द्वारा मारीच पर चलाया गया बाण जिस द्वीप पर गिरा, वही आगे चलकर मॉरीशस कहलाया। यह कथा भारत और मॉरीशस के ऐतिहासिक व सांस्कृतिक संबंधों को उजागर करती है।
ट्रस्ट की अधिशासी प्रवक्ता मां यामिनी श्री ने कहा कि ऐसे अनुष्ठान न केवल आत्मिक शुद्धता प्रदान करते हैं, बल्कि पारिवारिक प्रेम और सांस्कृतिक गर्व को भी बढ़ावा देते हैं। उन्होंने बताया कि गुरुदेव आर्यम सनातन धर्म के भूले-बिसरे पर्वों की गरिमा को पुनर्जीवित कर रहे हैं। आयोजन की सफलता में हर्षिता आर्यम, नवीन कोसी, प्रिया कोसी, गिरीशा देवी, किरण नारायण, नंदकिशोर नारायण, उमेश महादू, शिखा, नीतीश, नितिन कोसी, सवीना, शांता कोसी, दिव्या, विमला, नलिनी, रेशमा, पूनम, राजेश, रवि, पाम, श्याम और युदाव सहित अनेक कार्यकर्ताओं का विशेष योगदान रहा।