मुंबई। वर्ली नाका स्थित शूरजी वल्लभदास चाल के पुनर्विकास को लेकर चल रहे विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है। अश्विन वीरा और अन्य याचिकाकर्ताओं ने महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (MHADA) द्वारा जारी धारा 79-A के नोटिस का समर्थन किया और बाम्बे हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया।
सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और न्यायमूर्ति उज्जल भूयान की पीठ ने सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं को मुंबई महानगरपालिका (BMC) को पक्षकार बनाने की अनुमति दी। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 16 सितंबर 2025 को निर्धारित की है।
याचिकाकर्ताओं की प्रमुख दलीलें:
• चाल से संबंधित दस्तावेजों में स्पष्ट है कि BMC पहले ही इस भवन को “जर्जर और खतरनाक” घोषित कर चुकी है।
• ऐसे में MHADA द्वारा जारी नोटिस क्षेत्राधिकार से बाहर नहीं माना जा सकता।
• अधिनियम की धारा 76(d), 76(g) और 2(11) के अनुसार “सक्षम प्राधिकरण” की परिभाषा संदर्भानुसार बदल सकती है, जिससे नोटिस की वैधता प्रमाणित होती है।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश:
“याचिकाकर्ताओं को BMC को उसके आयुक्त के माध्यम से पक्षकार बनाने की अनुमति दी जाती है। सभी पक्षों को नोटिस जारी किए जाएं, जिसकी वापसी तिथि 16.09.2025 तय की है। प्रतिवादी क्रमांक 1 से 3 की ओर से अधिवक्ता श्री सिद्धांत बक्सी ने नोटिस स्वीकार कर लिया है। दस्ती सेवा की भी अनुमति दी जाती है।”
बॉम्बे हाईकोर्ट पहले ही MHADA द्वारा जारी 935 चालों के 79-A नोटिस पर गंभीर सवाल उठा चुका है। अदालत ने 28 जुलाई 2025 को कहा था कि केवल “दृष्टि निरीक्षण” के आधार पर कोई इमारत खतरनाक घोषित नहीं की जा सकती। इस आधार पर 46 नोटिस रद्द कर दिए गए और बाकी 889 चालों की पुनर्विकास प्रक्रिया को रोक दिया गया है।
हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में दी गई चुनौती
इससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस मामले में चाल मालिकों के पक्ष में फैसला दिया था, जिसे रहवासियों और MHADA ने मिलकर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट में मुख्य रूप से यह सवाल उठाया गया था कि क्या चाल को 79-A नोटिस देने से पहले उसे C1 कैटेगरी में घोषित किया गया था या नहीं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने माना कि MHADA द्वारा दिए गए नोटिस विधिक अधिकारों के तहत हैं।
सुनवाई के दौरान लैंडलॉर्ड के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में नोटिस स्वीकार किया। साथ ही कोर्ट ने दस्ती सेवा की भी अनुमति प्रदान की है ताकि प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ सके। यह मामला अब मुंबई की अन्य पुरानी चालों के पुनर्विकास की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणियाँ:
• सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार किया कि MHADA एक सक्षम प्राधिकरण है और उसने वैधानिक अधिकारों के तहत नोटिस जारी किया है।
• अदालत के समक्ष BMC द्वारा 28 चालों की सूची पेश की गई है, जिन्हें पहले से ही खतरनाक घोषित किया गया था।
• लैंडलॉर्ड (चाल मालिक) के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में नोटिस स्वीकार किया है।
• Dasti सेवा की अनुमति देकर कोर्ट ने प्रक्रिया को तेज करने का मार्ग भी प्रशस्त किया।
यह मामला क्यों है अहम?
इस केस के फैसले का प्रभाव केवल एक चाल तक सीमित नहीं है। यह मुंबई की सैकड़ों पुरानी चालों के पुनर्विकास की वैधानिकता, पारदर्शिता और प्रक्रिया की वैधता पर भी असर डालेगा। यह स्पष्ट करेगा कि क्या MHADA जैसी एजेंसियां केवल दृष्टि निरीक्षण के आधार पर पुनर्विकास थोप सकती हैं या नहीं।
