राष्ट्रीय स्वाभिमान। संवाददाता
भिवंडी। भिवंडी महानगरपालिका से सटे शेलार ग्रामपंचायत क्षेत्र में ग्राम विकास अधिकारी एवं प्रशासक सुधाकर सोनावणे द्वारा एक विवादास्पद निर्णय लिया गया है, जिसके तहत प्रत्येक घर से 200 रुपये प्रति माह जल शुल्क वसूलने का फरमान जारी किया गया है — भले ही घर में पानी का नल कनेक्शन हो या न हो।
📌 क्या है मामला?
शेलार की एक हाउसिंग सोसायटी को भेजे गए पत्र में बताया गया कि उसकी सोसाइटी में 8 नल कनेक्शन हैं, जिनका कुल मासिक बिल ₹1600 होता है। परंतु ग्राम पंचायत पर STEM Water Distribution & Infra Pvt. Ltd. और भिवंडी महानगरपालिका से पानी आपूर्ति के एवज में प्रति माह ₹3.5 लाख और ₹59,999 के बिल आ रहे हैं।
वर्तमान में ग्राम पंचायत पर ₹2.35 करोड़ से अधिक का पानी बिल बकाया है। इसे चुकाने के लिए प्रत्येक फ्लैट से 200 रुपये मासिक जल कर वसूलने की योजना बनाई गई है, चाहे उसने कनेक्शन लिया हो या नहीं।
⚠️ न्याय के नाम पर अन्याय?
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यह फरमान उन परिवारों पर भी लागू किया गया है जिन्होंने ग्राम पंचायत से कोई नल कनेक्शन लिया ही नहीं। मीटर खराब होने के बाद मनमानी दर से औसत बिल वसूले जा रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र के निवासियों से आज भी ₹75–₹100 ही वसूले जाते हैं, जबकि बिल्डिंगों में रहने वालों पर सीधा ₹200 का बोझ डाला गया है।
इस दोहरे रवैये से स्थानीय नागरिकों में भारी नाराजगी है। लोगों का कहना है कि जो पानी पंचायत उन्हें पर्याप्त दे ही नहीं रही, उसका भुगतान वे क्यों करें?
🗂️ पृष्ठभूमि: बकाया कैसे बढ़ा?
अप्रैल माह में पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री कपिल पाटील ने भिवंडी तालुका की ग्राम पंचायतों पर लगे ₹9.71 करोड़ के बढ़े हुए पानी बिल और जुर्माना शुल्क माफ करवाए थे। स्टेम अथॉरिटी द्वारा 36 पंचायतों पर कुल ₹31.60 करोड़ बकाया था, जिसमें ₹8.58 करोड़ विलंब शुल्क था।
यह भी सामने आया कि पहले इन पंचायतों को अनुमानित जल आपूर्ति के आधार पर बिल भेजे जाते थे, जबकि मीटर लगाने के बाद यह स्पष्ट हुआ कि पानी की आपूर्ति कम थी।
🧾 शेलार पंचायत को क्यों नहीं मिली पूरी राहत?
हालांकि शेलार पंचायत को जुर्माना माफी योजना में शामिल नहीं किया गया, लेकिन 24 किश्तों में भुगतान की सुविधा प्रदान की गई थी। अब पंचायत वह भार नागरिकों पर डाल रही है — जिससे जनता परेशान है।
🗣️ स्थानीय निवासियों की माँग:
- जिनके पास नल कनेक्शन नहीं, उनसे शुल्क न वसूला जाए
- बिलिंग में पारदर्शिता और उचित मीटरिंग हो
- ग्राम पंचायत को सरकार से राहत पैकेज मिले, जनता से नहीं वसूला जाए कर्ज