ठाणे, 31 जुलाई 2025 — रक्षाबंधन के इस पावन अवसर पर ठाणे मनोरोग अस्पताल की महिला मरीजों ने अपने जज़्बे और सृजनशीलता से एक अनोखा संदेश दिया है। अस्पताल में इलाजरत 50 से अधिक महिला मरीजों ने मिलकर 1200 सुंदर राखियाँ तैयार की हैं, जिनमें से 500 राखियाँ भारत की सीमाओं पर तैनात वीर जवानों को प्रेम और सम्मान स्वरूप भेजी गई हैं।
कला, आत्मसम्मान और पुनर्वास का संगम
इस पहल का नेतृत्व अस्पताल के व्यावसायिक चिकित्सा विभाग ने चिकित्सा अधीक्षक डॉ. नेताजी मुलिक के मार्गदर्शन में किया। जुलाई महीने से शुरू हुई इस गतिविधि में महिला मरीजों को राखी निर्माण का प्रशिक्षण दिया गया, जिसमें रंग-बिरंगी डोरियाँ, मोती, कपड़ा और अन्य सजावटी सामग्री का उपयोग कर बेहद आकर्षक राखियाँ तैयार की गईं।
इस रचनात्मक प्रक्रिया में डॉ. ममता अलसपुरकर, डॉ. हेमांगिनी देशपांडे, डॉ. अश्लेषा कोली, डॉ. प्राजक्ता मोरे और डॉ. जानवी केरजरकर का भी विशेष योगदान रहा।
🇮🇳 सैनिकों को भेजी गई राखियाँ
500 राखियाँ भारतीय सैनिकों को भेजी गई हैं — जो उन महिला मरीजों की ओर से एक भावनात्मक उपहार हैं, जो मानसिक स्वास्थ्य की चुनौती से जूझ रही हैं लेकिन फिर भी देश के रक्षकों के प्रति प्रेम और कृतज्ञता प्रकट करने से पीछे नहीं हटीं।
🧵 अस्पताल में भी मनाया जाएगा रक्षाबंधन
इन राखियों का उपयोग अस्पताल में आयोजित रक्षाबंधन समारोह में भी किया जाएगा, जहाँ महिला मरीज पुरुष मरीजों को राखी बांधकर त्योहार की खुशियाँ साझा करेंगी। इसके अतिरिक्त, कुछ राखियाँ बिक्री के लिए भी उपलब्ध कराई गई हैं, जिससे मरीजों को आत्मनिर्भरता और आर्थिक संबल का भी अनुभव हो।
“यह केवल राखी नहीं, पुनर्वास की डोरी है” – डॉ. नेताजी मुलिक
डॉ. नेताजी मुलिक ने कहा,
“इन राखियों में केवल कला नहीं, आत्म-सम्मान और पुनर्वास की भावना भी जुड़ी है। सैनिकों के लिए भेजी गई राखियाँ मरीजों की ओर से प्रेम और गर्व का प्रतीक हैं।”
समाज में एक सकारात्मक संदेश
यह पहल मानसिक स्वास्थ्य के प्रति समाज में सकारात्मक जागरूकता फैलाने का एक प्रेरक प्रयास है। यह साबित करता है कि सही मार्गदर्शन और सहयोग से मनोरोगी मरीज भी समाज में सार्थक योगदान दे सकते हैं।